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पता नहीं हम गलत है या सहीं
पर हिंदी अपनी जगह पर हैं नहीं
कल की ही बात को लीजिएगा
किन्तु दोष उस बच्चे को मत दीजिएगा
जो हमारे घर के बाहर खड़ा रो रहा था
देख के उसे दिल जार जार हो रहा था
उसे चुप करने के लिए मैंने एक चॉकलेट दी
बट मुझे रोज चाहिए कह कर उसने ली
रोज आओगें तो रोज मिलेगी मैंने बताया
सुन कर वह मुस्कराया ,बोला
मुझे डेली वाला नहीं, फ्लावर वाला रोज चाहिए
मैंने फिर कहा तो गुलाब का फूल कह कर मागियें
फूल यह नहीं आप हैं,कह कर वह भाग गया
खुद को फूल सुन कर हमें काठ मार गया
बस यूँ ही चलता रहता हैं ये सिलसिला
कहाँ तक आप को करे बयां
रिक्शे वाला मुख्य बाजार नहीं जानता हैं
मैनमार्किट कहते ही दस रुपया मागंता हैं
हिंदी सभी शब्दों को समाहित करना जानती हैं
पर हमसे भी कुछ मागंती हैं
क़ि
हम न बोलें खिचड़ी भाषा
शुद्ध हिंदी ही हो हमारी भाषा
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