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हमारें बुजुर्ग

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अभी तक मैंने सिर्फ सुना था की घरों में हमारे बुजुर्ग उपेक्षित हैं |पर आज यह महसूस किया तो दिल टूट गया|एक महिला जिसकी बहु कामकाजी महिला हैं |सारी उम्र अपने बेटे पोते पोतियों के लिए काम करती रही बिना किसी लालच के | उसके लिए क्या घर वालो का कुछ भी फर्ज नहीं होता |जिनकी मैं बात कर रही हूँ मेरी ताई सास हैं | उम्र कुछ ९० के आस पास होगी| बहु शादी के साल भर बाद से ही नौकरी कर रही हैं |पिछले साल तक ताईजी बहु के जाने के बाद अपने बेटे पोतों के लिए रोटी बना देती थी | कपडे तह कर देती थी.,घर के दूसरे काम कर देती थी, और उनके पोते पोती जो कि २२ व २४ साल के हैं अपने काम दादी से कराते थे | अब उनसे दुखी है |ऐसा क्यों हैं ?ताईजी कुछ कुछ बोलती रहती हैं तो सभी को उस बात से भी परेशानी हैं |कोई भी उनसे बात ही नहीं करता |जबकि वे सुनती भी सही हैं और समझती भी हैं फिर भी उनसे सिर्फ खाना पानी देते समय ही बात होती हैं |वैसे तो आज समय ही किस के पास हैं .|बेटा बहु पोती जॉब करते हैं और पोता कॉलेज जाता है |पर आने के बाद छुट्टी वाले दिन तो उनके साथ समय बिताया जा सकता हैं |अभी तक तो बहुएं ही बदनाम थी पर आज देख रही हूँ कि पोते पोतियाँ भी उन्हें किस प्रकार उपेक्षित करते हैं|
जबकि उनकी पोती समाज में बड़ी ही दयावान समझी जाती है| किसी भी गरीब को देख कर वे द्रवित हो जाती है |भिखारियों साग सब्जी वालो , ऑटोवालों को १०-२० रुपए ज्यादा दे ही देती हैं | बूढ़े लोगो की हालत देख कर उनकी आखों में आँसू आ जाते हैं | फिर क्यों वे उनके पास १० मिनिट भी नहीं बैठती हैं.?
ये सब देखे के बाद बस यहीं ख्याल आता है वास्तव मैं हर इंसान के दो चेहरे होते हैं |एक वो जो वो समाज को दिखाना चाहता हैं और एक असली चेहरा जो बड़ा ही भयावह है|

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